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Karan Bansiboreliya

Inspirational

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Karan Bansiboreliya

Inspirational

एक अविरल प्रेम कहानी थी

एक अविरल प्रेम कहानी थी

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एक अविरल प्रेम कहानी थी,

जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी..!

दक्ष के ना बुलाने पर भी पहुंच गई,

यही उसकी सबसे बड़ी नादानी थी..!


पति का कहा ना माना,

बेटी का दिल था ना माना..!

साक्षी रहा संसार सती पिता की दीवानी थी,

जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी..!


क्रोध में आ गए त्रिपुरारी,

आक्रोश में आ गए त्रिपुरारी..!

वीरभद्र का जन्म हुआ जब,

महाकाल बने त्रिपुरारी..!


किया घमंड चूर दक्ष का,

काया लेकर सती की अंतरिक्ष भ्रमण किए त्रिपुरारी..!

शिव की एक ही रानी थी,

जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी..!


देह का खंडन किया नारायण ने,

सुदर्शन अपना छोड़ दिया नारायण ने..!

टुकड़े टुकड़े सती के शरीर के नारायण ने,

52 शक्ति पीठ बना दिए संसार में नारायण ने..!


देख भोले का क्रोध भयंकर देवों को हैरानी थी,

जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी...!


काल भी वो विकराल भी वो,

ढाल भी वो महाकाल भी वो..!

भांग, धतूरा, बेल का पत्ता,

हलाहल पीने वाला नीलकंठ भी वो..!


देवों का भी देव है जो,

कहलाता महादेव भी वो..!

मृदंग करता रहता है,

तांडव करता रहता है..!

आदि योगी,अनंत है वो,

आरंभ वो है और अंत है वो..!


हिमालय राज के यहां जन्मी मां पार्वती शंभू की,

दीवानी थी जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी...!


मुंड माला धारण करता है,

भस्म रमाए रखता है...!

सृष्टि का नाश करने वाला,

श्मशान में वास करता है...!


जटा में सजा रखा है गंगा को,

कंठ में है विष लिए हुए..!

गले में पहनी है सर्प की माला,

शीश पर चंदा सजाए हुए..!

पशु पक्षी, देव दानव, मनुष्य गंधर्व,

और किन्नर सबको जो है अपनाए हुए..!


सुनकर शिव का बखान,

सप्त ऋषि से विवाह के लिए,

राजी हुई गोरा रानी थी..!

जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी..!


शिव शक्ति का मिलन हुआ,

साक्षी देव की वाणी थी..!

एक अविरल प्रेम कहानी थी,

जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी..!



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