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Monika Garg

Abstract

4.5  

Monika Garg

Abstract

एक औरत बंधती है

एक औरत बंधती है

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एक दायरा है परम्परा,

जिसमें केवल एक औरत बंधती है।

युगों से चली आ रही एक रीत है परम्परा,

जो केवल एक औरत निभाती है।


एक नदिया की गहराई है परम्परा,

जिसमें केवल एक औरत डूबती है।

एक मर्द प्रधान समाज की

बनाई हुई जंजीर है परम्परा,

जो केवल एक औरत को ही

पहनाई जाती है‌।


कभी सीता के नाम पर

उसकी अग्नि परीक्षा होती है,

कभी सती के नाम पर

एक औरत ही जलाई जाती है।


क्यों परंपरा के नाम पर

औरत को ठगा जाता है,

क्यों एक बेटी को ही

परंपरा के नाम पर

पैरों में बेड़ी पहनाई जाती है।


और कुछ नहीं,

बस एक औरत के सब्र का

बांध है परम्परा,

औरत के संघर्ष का नाम है परम्परा।


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