एक अनुभवी इंसान
एक अनुभवी इंसान
चोट खाई, रक्त बहा, मदद न कोई सहयोग हुआ
लड़ा, गिरा, घायल होकर, फिर नए जोश संग खड़ा हुआ||
ग़रूर थोड़ा जो वक्त का ज़ोर से, फिर कष्ट, बुराई संग आन खड़ा
चिंता, मुसीबत खूब बढ़ाता, अब हिम्मत, उत्साह, उमंग से सामना हुआ||
शिकंजा, सत्ता, शोषण का ढीला पड़ता, मुक़ाबला, आत्मविश्वास से उसका हुआ
किस्मत से बन सोना निकलता, पर झंझावतों से लड़कर हीरा हुआ||
उच्च विचार और सुंदर सपने, शील, संयम संग धीर-वीर हुआ
धोखे, विश्वासघात भी क्या बिगाड़े, वो उनसे उलझकर बड़ा हुआ||
कमजोर पड़ा न कभी कष्ट से, आगे, हौंसले के संग मजबूत हुआ
सूर्य के जैसे चमका जहाँ में, वो इंसान भेष में फौलाद हुआ||