एक अजब सा राज़ है जिंदगी ।।
एक अजब सा राज़ है जिंदगी ।।
कल कहाँ होगी, जो ये आज है जिंदगी,
बहते पानी में डगमगाती सी नाव है जिंदगी ।।
हवा के थपेड़े सहते, वो पलटते पन्ने,
एक खुली हुई सी, किताब है जिंदगी ।।
कभी रुसवा, मगरूर, नशे में चूर कर दे,
बंद बोतल में रखी सी, शराब है जिंदगी ।।
फूल भी बन नश्तर सा चुभे सीने में,
पल पल दुखता सा .. घाव है जिंदगी ।।
मिलना बिछड़ना, कभी खोना पाना,
एक उलझा हुआ सा हिसाब है जिंदगी ।।
कभी चमन में बिखरे महक गुलिस्तां की,
कभी खिजां में उजड़ा सा बाग़ है जिंदगी ।।
कभी अश्क़ बहाती आंखें और सुबकती तन्हाईयाँ,
कभी खुशी में बजता एक सुरीला राग है ज़िंदगी ।।
कभी ठंडक पहाड़ों की, कभी धधकती आग है जिंदगी,
अनसुलझे अफसानों का, एक अजब सा राज़ है जिंदगी ।।