एक ऐसी दिवाली हो,....
एक ऐसी दिवाली हो,....
इक ऐसी दिवाली हो, घर घर में खुश-हाली हो,
रंग बिरंगे रंगों से आसमान कभी ना खाली हो।
मीठे पकवानों की उम्मीद भी नहीं है क्या तो फिर,
कम से कम घर घर सब के अन्न से भरी थाली हो।
क्यों दर दर की ठोकर खाते, लोक आते-जाते हो,
उस की आँख में पानी हो, जिस ने दुनिया पाली हो।
मैंने किया विश्वास तुम पर वो भी आँखे बंद कर,
क्यों रोना धोना हो! ग़र तू ने किस्मत उछाली हो।
तेरे दर पर हम को बस चैन ओ सुकून चाहिए,
ईश्वर तेरे चरणों से सुधारस की प्याली हो।