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Akshay Dhamecha

Inspirational

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Akshay Dhamecha

Inspirational

घोड़े बेच के

घोड़े बेच के

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और तो क्या हो सकता था घोड़े बेच के ?

मैं तो बस सो सकता था घोड़े बेच के।


आँख अगर लग जाती, जाने क्या होता ?

सब कुछ डुबो सकता था घोड़े बेच के।


हम घर में बड़े है ना! हक़ भी तो नहीं है!

कैसे  मैं  रो सकता था घोड़े बेच के?


ये काम तिरा है, तू  ही कर सकता है,

मुझ से ना हो सकता था घोड़े बेच के।


कुछ भी ना करने से कुछ हो सकता क्या ?

क्या पाप को धो सकता था घोड़े बेच के ?


होने का मतलब खोने से पता चलता,

अक्ष भी क्यों खो सकता था घोड़े बेच के ?


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