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NIKHIL KUMAR NITYA

Abstract Romance Inspirational

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NIKHIL KUMAR NITYA

Abstract Romance Inspirational

एक अधूरी कविता

एक अधूरी कविता

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तुमसे मिलने की बात नहीं 

तुम्हें एक नजर देखना चाहता हूँ 

सोचता हूँ तुम्हे समन्दर के किनारे ले जाऊँ

और फ़िर मिलके कंकड़ फैंकना चाहता हूँ


तुमसे मिलने की बात नहीं

तुम्हें एक नजर देखना चाहता हूँ

सोचता हूँ तुम्हारी आंखों में कोई चाँद तो नहीं

अगर हो तो फ़िर उस चाँद से तुम्हें माँगना चाहता हूँ


तुमसे मिलने की बात नहीं

तुम्हें एक नजर देखना चाहता हूँ

सोचता हूँ तुम हकीकत हो या एक सपना

सपना हो तो मैं इस सपने को सारी उम्र देखना चाहता हूँ। 


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