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NIKHIL KUMAR NITYA

Abstract

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NIKHIL KUMAR NITYA

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मेरे दो पल तुम्हारे हर पल

मेरे दो पल तुम्हारे हर पल

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किसी ने लगाया मुझको 

तो किसी ने पानी भी दिया


किसी ने दी तकलीफ 

तो किसी ने बचा भी लिया 


किसी ने पालेे झूले नीची डाल पर 

तो किसी ने ऊँची डाल पर घर बना भी लिया


किसी को छाव दी मेंने

तो किसी को अपनी गोद में बिठा भी लिया


किसी को जरुरत थी लकड़ी का घर बनाने की

मेने उसके चहरे पर खुशी देखी

और अपना सर कटा भी लिया!  

       


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