NIKHIL KUMAR NITYA
Inspirational
मेरी जिन्दगी दर बदर करने बाली
कहाँ है हमसफर कहने बाली
सुना है तेरे तीसरा बच्चा हुआ है
कहाँ है मुझसे दो बच्चो की जिद करने बाली
सनम
मेरे दो पल तु...
एक अधूरी कवित...
कुछ लोगों की करनी को फिर ये सारा जग कितना भुगतता। कुछ लोगों की करनी को फिर ये सारा जग कितना भुगतता।
एक विश्वाश एक समर्पण और सबसे अहम मुझ- सी चाहत ! एक विश्वाश एक समर्पण और सबसे अहम मुझ- सी चाहत !
हर पल नई आशा और उमंग हूं ईश द्वारा निर्मित रंग मंच का मैं भी एक रंग हूं! हर पल नई आशा और उमंग हूं ईश द्वारा निर्मित रंग मंच का मैं भी एक रंग हूं!
हूं खुदा मैं भी तो तेरा एक बंदा, फिर क्यों समझते है मुझे एक अभिशाप। हूं खुदा मैं भी तो तेरा एक बंदा, फिर क्यों समझते है मुझे एक अभिशाप।
वक़्त का दामन थामे रहना ये जीवन का सार मत करो। वक़्त का दामन थामे रहना ये जीवन का सार मत करो।
प्रकृति देवी प्रथम पुरूष मेंं, राग मिलन मनुहार ना होता! प्रकृति देवी प्रथम पुरूष मेंं, राग मिलन मनुहार ना होता!
मेरे बच्चे क्यों रहेंगे साथ मेरे मेरे बच्चे क्यों रहेंगे साथ मेरे
और उन्होंने जवाब दिया ताकि आपके पास अपनी समस्याओं को साझा करने के लिए कोई हो ! और उन्होंने जवाब दिया ताकि आपके पास अपनी समस्याओं को साझा करने के लिए को...
आसान नहीं होता है अस्तांचल गामी सूर्य होना। आसान नहीं होता है अस्तांचल गामी सूर्य होना।
सोए हो सिंह तुम्हें माता ने बुलाया है, धू-धू करे धरा किसने यह आग लगाया है। सोए हो सिंह तुम्हें माता ने बुलाया है, धू-धू करे धरा किसने यह आग लगाया है।
खुद को पहचानो और खुद के लिए जगह बनाओ। खुद को पहचानो और खुद के लिए जगह बनाओ।
मां के बिन इस जगत मे , जीवन को धिक्कार ।। मां के बिन इस जगत मे , जीवन को धिक्कार ।।
बना हुआ है सबके मन में अपना ही एक संसार उतना ही ये फैलता जितने आते रहते हैं विचार। बना हुआ है सबके मन में अपना ही एक संसार उतना ही ये फैलता जितने आते रहते हैं व...
ये कौन से भेड़ियों की प्रजातियां आई है मेरे वतन में... ये कौन से भेड़ियों की प्रजातियां आई है मेरे वतन में...
हर वर्ष कुछ पेड़ लगाकर बच्चों सा उनको पालूँगी! हर वर्ष कुछ पेड़ लगाकर बच्चों सा उनको पालूँगी!
हम सबके अपने ही सब होते, तब मधुरिम मृदुतर बरसते रंग। हम सबके अपने ही सब होते, तब मधुरिम मृदुतर बरसते रंग।
जिद ही है जिन्दगी जिन्दगी के मायने तो अभी से क्यूँ नहीं चल काशवी जिद कर और पूरी क जिद ही है जिन्दगी जिन्दगी के मायने तो अभी से क्यूँ नहीं चल काशवी ज...
उजागर सत्य से--- उफ ! बदलती जरूरतें, बदलते तहखाने। उजागर सत्य से--- उफ ! बदलती जरूरतें, बदलते तहखाने।
मां के ऋण से कोई कभी न उऋण हो सकता, चाहे कोई जीत ले सारा का सारा ही संसार। मां के ऋण से कोई कभी न उऋण हो सकता, चाहे कोई जीत ले सारा का सारा ही संसार।
मैं फूलों सा ही खिलता हूँ मैं दीपक हूँ, मैं जलता हूँ। मैं फूलों सा ही खिलता हूँ मैं दीपक हूँ, मैं जलता हूँ।