एक आखिरी किस्सा
एक आखिरी किस्सा
प्यार की यूं चली हवा,
वक़्त थम सा गया...
ज़िन्दगी चलती रही,आस्मां बदलता रहा l
लोग आते रहे, लोग जाते रहे,
ज़िंदगी की बस में सफर करते रहे,
मंज़िलों को ढूंढने वाले मंज़िलों तक पहुंचते रहे l
मेरी तो ज़िन्दगी भी तू है,
मेरी मंज़िल भी तू है,
बस एक तू ही है...
जो ना बदला है, और ना बदलेगा..
एक प्यार है तेरा,
जो कल भी हवा में ताज़ा था
एक प्यार है तेरा,
जो आज भी हवा में ताज़ा है l
प्यार की यूं चली हवा,
वक़्त थम सा गया l
दिल की तेज़ रफ़्तार भी,
तेरे लाल दुप्पटे को
ट्रैफिक सिंगल समझके थम सी गयी,
दुप्पटे में तेरा हाथ छुपा का छुपा रहा,
मैं बस अपने हाथ को, उन हाथों में
महसूस करता रहा, करता रहा l
वक़्त कहता रहा---
बस थम जा इस लम्हे में,
मैं चलता रहा, वो चलती रही
एक मोड़ पे रुके हम और
वक़्त थम सा गया...
जब उसका लाल दुप्पटा, मेरे हाथों से छूटता गया
वो आगे बढ़ती रही,
मुस्कराती रही,
फिर मिलने का वादा करती रही l
क्या पता था हमें....
वो वक़्त, वो लम्हा, वो मुलाक़ात
बस....
एक आखिरी हिस्सा बनता गया l
हमारी प्रेम कहानी का,
सबसे खूसबूरत किस्सा बनता
प्यार की यूं चली हवा
वक़्त थम सा गया... वक़्त थम सा गया ll

