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Kanchan Hitesh jain

Abstract

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Kanchan Hitesh jain

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ए वक्त रुक जा...

ए वक्त रुक जा...

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ए वक्त रुक जा, थम जा, ठहर जा जरा

एक बार फिर से जी लेने दे जरा

कुछ पल जिन्दगी के चुरा लेने दे जरा

कुछ सपने अभी अधूरे हैं


उन्हें पूरा कर लेने दे जरा

कुछ वादे अभी बाकी है 

उन्हें निभा लेने दे जरा

ए वक्त रुक जा, थम...


कुछ अपने रूठे हैं

उन्हें मना लेने दे जरा

कुछ रिश्ते बिखर गये हैं

उन्हें संभल जाने दे जरा


कुछ जख्म दिये है लोगों ने

उनपर मरहम लगा देने दे जरा

एक और मौके की तलाश है मुझे

एक बार खुद को तराशने दे जरा

ए वक्त रूक जा, थम जा...


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