ए वक्त जरा धिरे चलना
ए वक्त जरा धिरे चलना
ए वक्त जरा धीरे चलना
कुछ यादों को समेटना रह गया है
जितना हुआ उतना समेट लिया है
कुछ खुशियों के आंसू संग बह गया है
ठोकरे खाई है बहुत ये तजुरबा मेरे काम का है
ऐसे ही सीखता रहा तभी तो सफलता पायी है
लोग समझ नही पाते इस बेजुबान
दर्द को जिसने हमेशा मेरा साथ दिया है
ऐसा बदला हमदर्द ने मेरे साथ लिया है
इन लम्हों में कभी तुम्हे खो दिया है
कभी पा लिया है
ए वक्त जरा धीरे चलना
कुछ यादों को समेंटना रह गया है