ए राही
ए राही
ए राही,
ए राही, बढ़ता जा तू,
अपने पथ पे चलता जा तू।
ए राही,
जाना कहां है,
पहुंचना कहां है,
मंजिल मिलेगी,
आगे बढ़ तू,
टेढ़ी- मेढ़ी नहीं,
सीधी चल तू।
ए रही, बढ़ता जा तू।
ऊबड़- खाबड़,
ऊंची- नीची,
कच्ची- पक्की,
चौड़ी- संकरी,
कैसी भी हो पगडंडी,
उसी पे आगे,
बढ़ता जा तू।
ए रही, बढ़ता चल तू।
राहों पे तूझको,
मिलेंगे बहुत सारे,
अच्छे- बुरे,
बच्चे–बुढ़े,
मोटे–पतले,
लंबे–नाटे,
राहगीरों की कमी नहीं है,
साथ होंगे सभी तेरे।
ए रही, बढ़ता जा तू।
पसीने से हो,
लथ–पथ, लथ–पथ,
पांव में ना हो,
छाले तब तक,
आगे ही आगे,
बढ़ता चल तू।
ए रही, बढ़ता चल तू
मंजिल मिलेगी बहुत ही जल्दी,
लगन लगा के बढ़ता जा तू,
कहे राजीव साथ हो ले तू,
राहगीरों की बस्ती में,
चल चला चल,
चलता चल तू,
ए राही, बढ़ता चल तू।
थके ना तू,
रुके ना तू,
तभी मिलेगी मंजील भी,
खुशियों की संजील भी।
ए राही, बढ़ता चल तू।
ए राही, बढ़ता चल तू।
