STORYMIRROR

Rajeev Kumar Srivastava

Inspirational Others

4  

Rajeev Kumar Srivastava

Inspirational Others

ए राही

ए राही

1 min
173

ए राही,

ए राही, बढ़ता जा तू,

अपने पथ पे चलता जा तू।

ए राही,

जाना कहां है,

पहुंचना कहां है,

मंजिल मिलेगी,

आगे बढ़ तू,

टेढ़ी- मेढ़ी नहीं,

सीधी चल तू।

ए रही, बढ़ता जा तू।


ऊबड़- खाबड़,

ऊंची- नीची,

कच्ची- पक्की,

चौड़ी- संकरी,

कैसी भी हो पगडंडी,

उसी पे आगे,

बढ़ता जा तू।

ए रही, बढ़ता चल तू।

राहों पे तूझको,

मिलेंगे बहुत सारे,

अच्छे- बुरे,

बच्चे–बुढ़े,

मोटे–पतले,

लंबे–नाटे,

राहगीरों की कमी नहीं है,

साथ होंगे सभी तेरे।


ए रही, बढ़ता जा तू।

पसीने से हो,

लथ–पथ, लथ–पथ,

पांव में ना हो,

छाले तब तक,

आगे ही आगे,

बढ़ता चल तू।


ए रही, बढ़ता चल तू

मंजिल मिलेगी बहुत ही जल्दी,

लगन लगा के बढ़ता जा तू,

कहे राजीव साथ हो ले तू,

राहगीरों की बस्ती में,

चल चला चल,

चलता चल तू,

ए राही, बढ़ता चल तू।

थके ना तू,

रुके ना तू,

तभी मिलेगी मंजील भी,

खुशियों की संजील भी।

ए राही, बढ़ता चल तू।

ए राही, बढ़ता चल तू।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational