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राजेश "बनारसी बाबू"

Inspirational

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राजेश "बनारसी बाबू"

Inspirational

दया

दया

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दया मनुष्य की प्रवृति है।

दया करुणा भी कहलाती है

दया सर्वत्र व्याप्त होती है

दया मन का एहसास है

दया मनुष्य में पाया जाता है

ऐसा ये विश्वास है

जिसके पास दया ना हो

वह मनुष्य नही संताप का पात्र है

दया मनुष्यता का अहसास कराती है

दया संसार से परिचय करवाती है।

दया मनुष्य के आत्मबोध का भी 

झलक दिखलाती है

दया रंग रूप नही देखती है

दया सीधे हृदय में प्रवेश करती है।

दया मनुष्य का मान है।

दया ना हो तो मनुष्य और जीव

 दोनो एक समान है

दया प्रेम को बढ़ाती है।

दया एक दूसरे की पीड़ा को मिटाती है

दया से ही धर्म का अस्तित्व है

दया से ही चेतना का स्त्रोत है

दया हृदय के विकास से पैदा होती है

दया से ही समस्त जीव का कल्याण है

दया से ही समस्त जीवित और मनुष्य

 और जड़ और जीव है।


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