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NOOR E ISHAL

Inspirational

4  

NOOR E ISHAL

Inspirational

दूसरी लड़की

दूसरी लड़की

2 mins
307


दूसरी औलाद पैदा जब हुई बन के लड़की

फिर दादी ने सदमे में आ माँ को दी झिड़की


एक कम थी क्या जो पैदा की एक और लड़की

अपने हाल से बेहाल माँ की निकल गई सिसकी


फिर बचपन गुज़रा काश ये लड़का होता सुन के 

ना लाड ना दुलार पलती रही बस सपने बुन के 


खूब मन लगाकर करती रहती थी गरीब पढ़ाई

कहीं टाट का बोरा तो कहीं मिली थी उसे चटाई


स्कूल कालेज के नाम पर ऐसी ही जगह वो पाई

धीरे धीरे मेहनत उसकी शोहरत बन के रंग लाई 


एक बार फिर लड़की होना याद दिला गया वक़्त 

हर कामयाबी पाने में आ आ कर सता गया वक़्त 


यूँ संघर्ष करते हुए मुँह से बाप के ये भी सुना 

है वो बेऔलाद माँ बाप लड़की पैदा हुई जहां 


घाव पर घाव लड़की होने के लगते रहे लगातार 

है मुसीबत वो सबके लिये ये पता चला बार बार 


नाजुक सा दिल लिए सोचती थी यही हो बेक़रार

कोई हो जो कहे मेरे लिए है तू खुशी है मेरा संसार 


ना करे भीड़ मे शामिल खास समझे उसे भी कोई 

यही सपने संजोते हो गयी उसकी मायके से विदाई 


अपने घर आँगन में आने के साथ थे सपने कई 

कुछ अजनबी बने रहे वहीं बन गए अपने कई 


नए सफर के साथ आ गयी मुश्किलें भी नयीं

तन्हा ही फ़िक्र करती रही चुभती बातें भी सहीं 


ख़ुद को उसने किया था फिर ख़ुदा के हवाले 

खुद ही खुलने लगे फिर बंद क़िस्मत के ताले 


कामयाबियां शोहरत मोहब्बत और थी राहतें 

ख़ुदा पे यकीन था पूरा दिल से माँगी थी हाजतें


हर एक दुनिया में अपनी क़िस्मत का पाता है 

सिवाए ख़ुदा के नहीं कोई किसी का दाता है 


सीखा अच्छे बुरे वक़्त के साथ सबक उसने यही

ख़ुदा सबका मालिक है मुश्किल में मददगार वही 


खुश रखो बेटी को कि बेटियाँ होती हैं ख़ुदा की रहमतें

होकर पैदा तेरे घर संवार देती है सारे घर की क़िस्मतें।


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