दुश्मनी
दुश्मनी


आओ चले
दुश्मनी का
एक बीज बोएं
बहुत देख लिया
प्यार की छांव में रहकर
न प्यार चढ़ा परवान
न ही पुख्ता हुई दुश्मनी
यूं ही चिढ़ते रहें
कभी अपने से
तो कभी उनसे
प्यार की आड़ में
छुरे खूब घोंपे गएं हैं पीठ में
न आजमाओ मुझे
दुश्मनी का
बीज बो आया हूं.
न लो सब्र का इम्तिहान
जिंदगी बीत जाएगी
मेरी थाह लेते-लेते!