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सोनी गुप्ता

Abstract

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सोनी गुप्ता

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दुनिया एक मंच है

दुनिया एक मंच है

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पूरी दुनिया एक मंच समान लगता यहाँ सुख दुःख का मेला है

यह सभी अपनी अपनी भूमिका निभाते नहीं कोई अकेला है।


किसी ने कही एक सुंदर पंक्ति है दुनिया रंगमंच हम कठपुतली हैं

इस बात में एक अमिट सच्चाई हैहर खेल में जीवन की गहराई है।


ये मंच जीवन में भरते रंग अनेक इन रंगों में रंग गए सभी के रंग हैं

हर सुख दुःख में साथ निभाता समाज अब सब एक दूसरे के संग है।


आज यह दुनिया आपको नई दिशा दिखाकर दिल में उम्मीद जगाता है

जीवन की इस आपा –धापी में भूल गए जिन रंगों को वह रंग दिखाता है। 


जीवन में हँसना खेलना अपनों से मिलनाजीवन चक्र चलता जाता है

ऐसा प्रतीत होता जैसे एक कला दिखता और एक दिखाकर चला जाता है।


माना दुखों का भी यहाँ लगा डेरा है पर फिर अगले दिन सुखों का सवेरा है

इस मंच में कई बार देखा है जिस सुख के लिए मानव अपनों से लड़ता है।


दुनिया एक मंच जिसमें जीवन के मंच में नए –नए संघर्षों से वह भिड़ता है।


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