दुआ
दुआ
घर के घर बीमार हो रहें हैं
तेरी रहमत की बाट जोह रहे हैं
सुन ले हमारी फ़रियाद,
दे हमें इस वबा से निजात
रहम कर रहम कर इलाही रहम कर।
बड़ी उम्मीद से है तुझको पुकारा
भर दे अपनी रहमत से दामन हमारा
रहम कर रहम कर या इलाही रहम कर।
कैसी वीरानी हर तरफ़ छाई है।
मौत ने हर घर दस्तक लगाई है।
ये कैसी मुसीबत हम पर आई है।
तेरे सिवा न है कोई भी हमारा,
अब बस दुआ का ही है सहारा,
रहम कर रहम कर या इलाही रहम कर।
उम्मीद का दामन हाथ छुटा जा रहा है,
घुटती सांसों ने है तुझको पुकारा
रहम कर रहम कर या इलाही रहम कर।
दवा को तड़पते बीमार नहीं देखे जाते,
माँ बाप से बिछड़ते बच्चे नहीं देखे जाते,
क़तारों में जनाज़े नहीं देखे जाते,
जो तू कर दे इक इशारा
बदल जाएगा वक़्त हमारा
दे दे हमारी डूबती कश्ती को सहारा
रहम कर रहम कर या इलाही रहम कर।
बड़ी उम्मीद से है तुझको पुकारा
तू ही है बेबसों का आख़री सहारा
रहम कर रहम कर या इलाही रहम कर।