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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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दुआ कीजिए

दुआ कीजिए

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समय और परिस्थिति

अनुकूल नहीं है,

अब सब चेत जाइए

मन के दुराग्रह त्याग

साथ साथ आइए।

कोरोना क्या ये महामारी है

इंसान ही नहीं 

ईश्वर पर भी भारी है।

इंसान मुश्किल में है

ये सबको दिखता है,

ईश्वर भी ठिठका है

किस किसको पता है?

ईश्वर भी बड़ी दुविधा में है

प्रकृति की डोर जैसे

उसके हाथ से छूट गई है।

आज ऐसा लगता है जैसे

सब कुछ बहक गया है,

इंसानों का हाल क्या कहें

प्रकति के आगे आज देखिए

ईश्वर की आँखे भी जैसे भर गई हैं।

आइए सब एक साथ मिलकर

प्रकृति की पूजा, आराधना, 

साधना, दुआ करें

प्रकृति को प्रसन्न करें

भेदभाव भूल कर ,

सब मिलजुलकर

प्रकृति से दुआ कीजिये

अपनी चिंता छोड़कर

प्रकृति की बागडोर फिर से

ईश्वर के हाथों में 

पकड़ाने का यत्न कीजिए,

सब अपने अपने घरों में ही

ये ही दुआ कीजिए,

हाथ जोड़, शीश झुका कर

सब मिल प्रयत्न कीजिए,

प्रकृति की मार से बचने

अपने अपने भावों से 

प्रबंध कीजिए।


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