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Rochana Singh

Abstract

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Rochana Singh

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दस्तक

दस्तक

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वो फिर से लगे याद आनें

जिनको भूलने में लगे जमाने,

आसमां को हवा चाहिए और

पक्षी को क्या चाहिए,


वक्त चेहरे पर क्या लिख गया

आईना देखना चाहिए।

क्यूं किनारे-किनारे चलूं

भीड़ में रास्ता चाहिए


दिल बहुत दिनों से तड़पा नहीं

जख्म कोई नया चाहिए।


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