दशहरा
दशहरा
ये कर्म भूमि तेरी,
ये कर्म युद्ध तेरा,
तू किस के तलाश में,
ये वक़्त भी तेरा।
यहाँ सर कटे दस,
ये है राम लीला,
तू रावण नहीं,
अच्छे कर्म तू भी कर भला।
सच्चाई को चुन,
पथ प्रदर्शित होगा,
रावण भी निकले गा,
जब तू श्री राम होगा।
भोले का था भक्त बड़ा,
कटु कृत्य किये उसने,
सीते को विरह कर राम से,
सोचे फ़तह की उसने।
तू भी है भक्त किसी का,
तूने भी कटु कृत्य किये,
मांग ले तू माफ़ी,
श्री राम लौटे अयोध्या।
कर विनाश,
कर संहार,
अपने अंदर के तू रावण का,
दिप जला,
खुशियाँ मना,
तेरा राम तुझ में बस चुका।
