दर्द भी तुम दवा भी तुम।
दर्द भी तुम दवा भी तुम।
दर्द भी तुम दवा भी तुम,
सीता और राधा भी तुम।
जीवन में जला दीप तुम,
हमारी बंदगी हमेशा तुम।
मेरा विश्वास भरोसा तुम,
मेरा उजाला रौशनी तुम।
पूजा की थाली मेरी तुम,
तन-मन की देवी भी तुम।
अमृत का सागर भी तुम,
मेरी हर शायरी तक तुम।
दिल का दीपक भी तुम,
पूजा आरती हमेशा तुम।
प्रेम का ये व्याकरण तुम,
स्वर और व्यंजन भी तुम।
सितारों का जहाँ भी तुम,
चाँद तारे फूल सभी तुम।