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Ram Chandar Azad

Abstract

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Ram Chandar Azad

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दर्द अपने

दर्द अपने

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दर्द अपने चाहते हो यदि छिपाना

सबसे पहले सीखिए तुम मुस्कराना


आइना जैसे था वैसे आज भी है

हो गया है तो ये चेहरा पुराना


आपने अपने को न जाना न समझा

बस यही कहते रहते दुश्मन ज़माना


दर्द आँखों में तुम्हारे दिख रहा है

और करते आप हँसने का बहाना


ज़िन्दगी तन्हाँ नहीं कट पाएगी

दोस्त तुमको तो पड़ेगा ही बनाना


चाहते ‘आजाद’ तुम गम को भगाना

गीत कोई सीखिए तुम गुनगुनाना।


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