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Ajay Singla

Abstract

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Ajay Singla

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दोस्ती

दोस्ती

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मेरे घर में पार्टी थी

काम बहुत सा था पड़ा

कोई मेरे साथ न था

चिंता में था मैं खड़ा।


टेंट वाला, खाने वाला

काम मुझको कह गया

काम कुछ मैं कर न पाया

सोचता मैं रह गया।


मदद किसकी लूं और कैसे

बातों में थे सब लगे

धड़कने बढ़ने लगे

महमान जब आने लगे।


तभी मेरा एक साथी

जाने कहाँ से आ गया

मेरा सारा काम लेकर

झट से वो निबटा गया।


मेरे में भी हिम्मत आयी

जोश उसने भर दिया

मेरी उसकी जुगलबंदी

काम सारा कर दिया।


एक वो और एक मैं

हम दोनों ग्यारह हो गए

बात करते रात हो गयी

थक के हम तब सो गए। 


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