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Goldi Mishra

Abstract

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Goldi Mishra

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दोस्ती एक तराना

दोस्ती एक तराना

2 mins
271



आजा फिर खेलें उन मिट्टी के खिलौनों से,

आजा फिर याद करें वो लम्हे दोस्ती के ।।

एक गुलिस्तां है दोस्ती,

कभी पीठ थपथपाती है दोस्ती,

राहों में जब कदम लड़खड़ाए तो संभालती है दोस्ती,

कभी तीखी तकरार कभी चाशनी सी मीठी है दोस्ती,

अधूरे पन में हथेली पर एक साथ सी है दोस्ती,।।

आजा फिर खेलें उन मिट्टी के खिलौनों से,

आजा फिर याद करें वो लम्हे दोस्ती के,।।

गली के नुक्कड़ पर बिताए वो पल,

हाथ थामे ताने–बाने से बुने है हमने ये पल,

मीलों दूर का सफ़र साथ तय करना,

बरगद की छांव में बैठ हज़ारों बातें करना,।।

आजा फिर खेले उन मिट्टी के खिलौनों से,

आजा फिर याद करें वो लम्हे दोस्ती के,।।

मेरी जिंदगी के हर पहलू से रूबरू है तू,

मुझे मुझसे बेहतर जनता है तू,

उस रोज़ जब हम मिले थे तब एक दूसरे के लिए अजनबी थे,

आहिस्ता आहिस्ता लाखों लम्हे हमने पिरोए थे,।।

आजा फिर खेलें उन मिट्टी के खिलौनों से,

आजा फिर याद करें वो लम्हे दोस्ती के,।।

साथ खाना खाना,

बेवजह एक दूसरे को सताना,

बेवजह रूठना और मनाना,

हमने एक साथ उम्मीदों के आसमान पर लिखा था अपना याराना,।।

आजा फिर खेलें उन मिट्टी के खिलौनों से,

आजा फिर याद करें वो लम्हे दोस्ती के,।।

यादों के संदूक में बहुत कुछ संजो कर रखा है,

यहीं किसी किताब में मेरे दोस्त के घर का पता रखा है,

किसी शाम एक कप चाय एक साथ पीते हैं,

कुछ पुराने किस्से याद करते हैं और कुछ नए तराने लिखते हैं।।



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