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KHYATI PANCHAL

Comedy Others

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KHYATI PANCHAL

Comedy Others

दोस्त

दोस्त

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तेरे लिए लिखने बैठूं तो भूल जाऊँ,

तुझे डांटने लगू तो किताब लिख आऊँ।


पता नहीं किस घड़ी में मिले थे हम,

उसके बाद अकेली रही ही नहीं एक भी कदम।


सलाह देने फट से चली आती,

लेक्चर देने में प्रोफेसर को पीछे छोड़ आती।


मुझसे तेरी तारीफ तो हो नहीं पाती,

पर तेरे तानो की याद आज भी सताती।


पता तो तुझे अच्छे से होगा,

मुझसे कोई कांड ढंग से नहीं होता।


गड़बड़ हमेशा तेरे नाम छोड़ आती,

फिर छोटा सा मुंह करके मनाने आती।


पता नहीं कैसी है तेरी मेरी कहानी,

कोई और नहीं ये है मेरी दोस्त शिवानी।

           



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