दोस्त
दोस्त
एक मेरे जैसी चिड़िया है ,
शायद मुझसे भी चंचल है|
आंखो में उसके आसमान है,
पंखों में काईया हलचल है |
सपने उसके है बड़े अनूठे ,
कुछ आगे उसको जाना है|
गरुड़ चातको की सूची में,
नाम दर्ज करवाना है |
जब वो उड़ती तो दिशाएं भी ,
उसका मार्ग सजती है|
तेज़ हवाएं साहस करती ,
पर उसको रोक ना पाती है|
असंख्य भीड़ के बीच खड़ी वो,
भिन्न पहचान बनती है|
चहकने का अंदाज़ निराला ,
वो सबका हृदय लुभाती है|
कृष्ण समान मित्रता उसकी,
वो मानो खुली किताब है |
चंचल्य प्रेम वात्सल्य से पुरित,
महफ़िल की मेहताब है |
मेरे जीवन में उसकी उपस्थिति,
मृग कस्तूरी के समान है |
अब पास नहीं मगर साथ है वो,
मेरे भीतर विद्यमान है...!