STORYMIRROR

Bajrangi Lal

Inspirational

4  

Bajrangi Lal

Inspirational

दोहा

दोहा

2 mins
679


मुँह पर मीठी बोलते, दिल में रखते द्वेष।

ये आस्तीन के साँप हैं, इनसे रहें सचेत।।


साथ रहें मिलते सदा, लेते मन का भेद।

जिस पत्तल में खात हैं, करते उसमें छेद।।


मुखै हितैषी जो रहें, पीछे करते घात।

ऐसे नर से ना करें, दिल की कोई बात।।


लम्बी-लम्बी फेंकते, नहीं लपेटा जाए।

सीखे जिनसे ककहरा, उनको राह बताए।।


सूरज को दीपक दिखा, बनते बड़े चलाक।

उड़ो अधिक जुगुनू नहीं, हो जाओगे ख़ाक।।


घर में भूँजी भाँग नहि, बाहर शेखी झार।

करता कब तक मैं रहूँ, अपना बंटाधार।।


कर्म भला करते रहो, करो न कबहूँ पाप।

बुरै बुराई पाइहौ, तुमको मिलियो आप।।


भरी जेब सबहीं लखैं, खाली लखैं न कोय।

बिन फल वाले पेड़ की, कहाँ सिंचाई होय।।


मित्रों इस संसार में, पैसे से है प्रीत।

माँ बेटी बहना रहे, बीबी हो या मीत।।


गुण्डों को है मिल रही, कड़ी सुरक्षा आज।

भले भलौं कहि छोड़ि कै, उनके सिर पर ताज।।


लटक झटक मटकत चलै,हिय को देत हिलाय।

करे इशारे नैन से, मुॅह से बोलत नाय।।


रिश्ते हुए सब हाट के,भये मतलबी लोग।

कर बहियां बल आपने,छोड़ सभी से योग।।

हाट=बाजार

योग=जोड़=जुड़ाव (लगाव)।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational