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Bajrangi Lal

Others

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Bajrangi Lal

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आंसुओं का समंदर रुका ही नहीं।

आंसुओं का समंदर रुका ही नहीं।

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प्रेम दिल में है तुमसे तो इतना भरा,

मुझको इसका पता तो चला ही नहीं।

मुफलिसी में हमें जब जुदाई मिली,

आंसुओं का समंदर रुका ही नहीं,

राह तकती है आंखें तुम्हारी हर इक पल,

आज फिर सूना-सूना ए दिन चल गया,

राह कितनी चला काम कितना किया,

याद दिल से तुम्हारी गयी ही नहीं,

प्रेम दिल में है तुमसे तो इतना भरा,

मुझको इसका पता तो चला ही नहीं।

रात खा कर के बिस्तर में सोया हुआ,

आंसुओं की झड़ी में नहाता रहा,

हर कदम पर मुझे डांटने वाले तुम,

करके मुझको अकेले चले तुम गए,

होने भर से तुम्हारे ए एहसास था,

मुझको कोई कमी तो मिली ही नहीं,

प्रेम दिल में है तुमसे तो इतना भरा,

मुझको इसका पता तो चला ही नहीं।

मुफलिसी में हमें जब जुदाई मिली,

आंसुओं का समंदर रुका ही नहीं।।



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