कुंडलिया छंद।
कुंडलिया छंद।
लेकर पक्का संकल्प तुम,मत छोड़ो उम्मीद है,
ताने जो सदा देते हैं,होते वही मुरीद।
वही मुरीद, सदा जो करें बुराई,
डटकर करना काम, कभी ना डरना भाई।
बहुत प्रयास करते हैं,सदा जो तन-मन देकर,
कह बजरंगी लाल,सफलता लेकर आते हैं।।१
ढूंढ रहा था मन जिसे,होकर बड़ा उदास,
नहीं दिख रहे,आज़ आज छुट्टी।
मुझे आज छुट्टी मिली, हमशा सताए,
सबसे करती बात, नहीं यह मुझको भाए।
बना खंड रोज, झूठ हर बार कहा था।
बजरंगी तो जिसे,प्यार से ढूंढ रहा था।।२
झूठ और चमचागिरी करते हैं खूब छल-छंद,
ऐसे लोगों को करें, जनता आज पसंद करती है।
जनता आज पसंद,करे ऐसे नेता को,
झूठ में मगन करें, सभी लोगों के मन को।
मगन हुए सब लोग,लगाते सदा हाजिरी,
सच को छोड़ो, झूठ और चमचागिरी।।३
