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Rashmi Prabha

Inspirational

5.0  

Rashmi Prabha

Inspirational

दो आत्माएं और प्यार

दो आत्माएं और प्यार

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शरीर तो नश्वर है

मिलकर भी नहीं मिलता

मात्र उसे लेकर

किसी को कोई सुकून नहीं मिलता

शरीर को लम्हा लम्हा जीकर भी

साँसें अधूरी रहती हैं

मन का कोना कोना

खाली होता है...


पर जब दो आत्माएं

एकाकार होती हैं

तो शरीर प्रेम का

अनोखा विम्ब होता है

हर स्पर्श एक नई पहचान

नई शुरुआत होती है

धड़कनों की छोड़ो

सोयी आँखें भी इज़हार करती हैं

कमरे से बाहर होकर भी

कमरे के अन्दर 'हम' रहता है


घूंट घूंट लम्हें को पीता है

लोगों की भीड़ से अलग

गर्म सांसों को सुनता है

नशीली आँखों की इस

भाषा को ही

प्यार कहते हैं

जो हर शाख से जुड़ता है

एक सुरंग की कौन कहे

जाने कितनी सुरंगें बनाता है

सात समंदर स

े भी

नंगे पाँव चलकर आता है

इन पैरों की क्या

आलोचना करोगे

इसकी गर्मी को

कैसे झेलोगे ?


जो संबंध आत्मा से है

उसे तोड़ना

उससे जूझना

उसे समझना

आसान नहीं

ज़िन्दगी को गाना

सबके वश की बात नहीं

और जो गाते हैं

उनकी तान को मौन करना

अन्याय है


ईश्वर अपने आप में प्रेम है

प्रेम के द्वार से सारे पृष्ठ खुलते हैं

द्वार को बन्द कर दोगे

तो ....

तुम्हारी पहचान गुम हो जाएगी

दो आत्माओं के मध्य

भूले से भी मत आना

इस आँच को सह नहीं पाओगे


ईश्वर की आँखों से गर आँसू बहे

तो कोई तुम्हें माफ़ नहीं करेगा

तुम्हारा ये नाम

गुमनामियों के अंधेरे में

बेनाम दम तोड़ देगा !



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