Tejeshwar Pandey

Abstract

5.0  

Tejeshwar Pandey

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दंगा दर्द ज़िन्दगी भरका नुकसान

दंगा दर्द ज़िन्दगी भरका नुकसान

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दंगा दर्द और ज़िन्दगी भर का नुकसान

मत करो इंसानियत हो बर्बाद,

घर मकान रोज़गार छीन गए

इस दंगे की आग में,


अरे वो घर का चिराग भी चला गया

जो उमीद थी बूढ़े मा बाप की लाठी था,

वो सुहाग उजड़ गया,

उस बच्चे की छत छीन गई

इस दंगे की आग में,


मत करो बर्बाद इंसानियत को

मत करो राख उसके सपने को

मत करो बर्बाद इंसानियत को

इस दंगे की आग में,


आज जो तुम कर रहे हो

ध्यान रखना वो जो ईश्वर अल्हां है न

वो सब हिसाब रखता है

याद रखना वो नहीं बख्शेगा !


मत बनो धर्म के ठेकेदार

इंसान हो इंसानियत से प्यार करो !


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