बुजुर्ग मेरे घर के वो बरगद !
बुजुर्ग मेरे घर के वो बरगद !
बुजुर्ग मेरे वो घर के बरगद सामान है।
वे छाया जीवन की मानो बड़े वृक्ष जैसी हो।
तजुर्बो का भण्डार है हीरो की खान है बुजुर्ग।
बुजुर्गो का बुढ़ापे में सम्मान करो उनका।
नहीं तो जो आज है उनका वो कल होगा तुम्हारा।
माना की अब चलना आसान नहीं है उनका
जीवन के हर एक कदम पर अब थक रहे हे वो
ताने मार निवाला देते वो
अपने बुजुर्गो को पल पल बितर से मार रहे है वो
अब खटक रहा है बुढ़पा उनका
उनके अपने ही शामिल होगये हे उन्हें मिटाने में
औलादे बाट रही है उनकी जागीर सारी
बट गया है बुढ़ापा इस बटवारेमे कई हिस्सों में
मशहूर थे कभी वो जवानी में
आज बुढ़पा आया तो उनके अपनाने ही
उन्हें गुमनाम सा करदिया है।
अब वो बुजुर्ग कुछ मांग नहीं रहे हमसे
बस लगाकर वक़्त का हिसाब
अपनी अंतिम यात्रा पर जाने का इंतज़ार कर रहे है।
आज से एक प्रण ले लो तुम
करोगे सन्मान बड़े बुजुर्गो का
इन झुर्रियों भरे गालो को देख
पके सफ़ेद बालो को देख
ढलती उम्र में बुजुर्ग कभी बेकाम से नहीं होते।
नतीजे बदलतेति है
जीवन में सलाह उनकी।
बुढ़ापे के तजुर्बे से सिख
अपने जवानी के जीवन को सफल बनादेना तुम।
