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Anisha Jain

Abstract

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Anisha Jain

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दिल या दिमाग

दिल या दिमाग

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दिल गलती करना जानता है

तो दिमाग गलती सुधारना जानता है, 

दिल माफ़ करना जानता है

तो दिमाग सज़ा देना भी जानता है, 

दिल प्यार में पागल होना जानता है

तो दिमाग प्यार में संभलना जानता है, 

दिल पैसे उड़ाना जानता है

तो दिमाग पैसे कमाना जानता है। 


कैसे इनमें से किसी एक को चुन लूं ? 

कभी लगता है दिल की सुनूं

तो कभी लगता है दिमाग की सुन लूं, 

महज़ दिमाग की सुनेंगे 

तो जी नहीं पाएंगे

और महज़ दिल की सुनेंगे 

तो यह दुनिया जीने नहीं देगी।


दिल के कई सारे रंग है

तो दिमाग के काम करने का अपना अलग ढंग है, 

मन की तरंग मलंग है

तो बुद्धि का बल अभंग है, 

दिल की आशा अंतरंग है

तो दिमाग की भाषा भी चतुरंग है।


कौन कहता है ?

दिल और दिमाग में जंग है, 

यह तो सदा से एक-दूसरे के संग है, 

दिल दुखी होता है तो दिमाग भी रोता है, 

दिमाग डर जाता है तो दिल की धड़कने तेज़ हो जाती है, 

दिल खुश होता है तो दिमाग भी हँसने लगता है, 

अंतर सिर्फ इतना है, 

दिल भावनाओं में बहना जानता है

और दिमाग विचारों में रहना जानता है, 

भावनाएं बदलने में ज्यादा वक़्त नहीं लगता, 

परंतु सोच बदलने में सालो लग जाते है... ।



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