अपूर्णता
अपूर्णता
काश, तुम कुछ पल ठहर जाते
घड़ी की सुई थम जाती
मेरी वो अधूरी बात पूरी हो जाती।
काश, हालात उस वक्त बदल जाते
हम एक-दूसरे को समझ पाते
मेरे वो अधूरे सपने पूरे हो जाते।
काश, एक मुलाकात और हो जाती
एक नई शुरूआत फिर हो जाती
मेरी वो अधूरी कहानी पूरी हो जाती।
पर अब सोचती हूं
जो हुआ अच्छा हुआ,
कभी-कभी कुछ होने से
कुछ ना होना ही बेहतर है।
पहले मजबूरी थी
इसलिए दूरी थी,
अब मंजूरी है
इसलिए दूरी है,
कुछ चीज़े अधूरी है,
इसलिए ही पूरी है।