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Kumar Vikash

Inspirational Thriller

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Kumar Vikash

Inspirational Thriller

दिल सोचने लगा

दिल सोचने लगा

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इश्क की गलियों से गुजर चुका मैं

गुजरे हुये पलों को बिसर चुका मैं।


वो नजरों का मिलना दिलों का मचलना

जानें कितने ही बार फिसल चुका मैं।


अब क्यों मिले तुम मुझे मेरे इस हाल में

जब दिल सोचने लगा की मर चुका मैं।


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