STORYMIRROR

Chandni Bhatnagar

Classics

4  

Chandni Bhatnagar

Classics

dil se dil tak

dil se dil tak

1 min
227

ना जाने ये कैसा एहसास हुआ है 

दिल से रूह तक बेहाल हुआ है 


ढूंढा जिसे दर दर मैंने 

वो आज मेरे रूबरू हुआ है

 

कपटी ढोंगी नहीं सन्यासी मुझे नाम दिया है 

शान्ति और धैर्य से प्यार हुआ है 


कांच की तरह ये दिल चकनाचूर हुआ है 

ना जाने ये कैसा एहसास हुआ है 


दिल से रूह तक बेहाल हुआ है 

नाता तेरा मेरा ना जाने कब से है 


ये प्यार नहीं ये मोहब्बत का जूनून बोल उठा है 

मिल कर तुझे ये सब बताना है

 

कपटी ढोंगी नहीं सन्यासी मुझे नाम दिया है 

ना जाने ये कैसा एहसास हुआ है 

दिल से रूह तक बेहाल हुआ है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics