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Nitu Mathur

Romance

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Nitu Mathur

Romance

दिल की बात

दिल की बात

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आओ बैठो पहलू में.. के ना जाओ इस तरह

के सिमटना चाहती हूं तुम मैं

अब खोल ही दो दिल की गिरह,


ये जो दुनिया भर के कामों में रहते हो मसरूफ हर दम

दिन रात बस इधर उधर.. ज़रा कभी तो लो आराम,


माना की ये दौड़ धूप बहुत अहम है, लाज़मी है

पर थोड़ी सी फुर्सत से इनमें ना लगेगी लगाम,


आओ करें कुछ लम्हे साझा, जो बस हमारे हों

बस हम तुम ही हों, कोई भी और गवारा ना हो,


रहो इस तरह साथ कि ये पल मुकम्मल हो जाएं

कभी फिर जाओ तो ताजातरीन सी याद बन जाए! 



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