दिल की आवाज
दिल की आवाज
बहुत दिनों बाद अचानक से,
मुझे कुछ आवाज सुनाई दी।
धक धक कहा मुझसे दिल ने,
तुम्हें समस्या दिखाई नहीं दी।
मैं चौंक कर वहीं पर रुक गया,
न जाने किसकी ये आवाज है।
मैं अन्दर ही अन्दर घबरा गया,
अरे यह तो दिल की आवाज है।
सुनने लगा मैं उसकी आवाज को,
बहुत गंभीरता थी उसके कथन में।
विचारने लगा मैं उसके विचार को,
फिर बात भी आ गई मेरी समझ में।
कह रहा था दिल मुझसे,
मेरी भी तो सुन लो भाई।
जिधर चले हो तुम बढ़के,
उधर मिलेगी तुमको खाई।
मेरे मन के भाव को समझो,
पीड़ा मुझे भी बहुत होती है।
तुम्हारी करनी को अब रोको,
उलझन मुझे भी बहुत होती है।
उसकी पीड़ा को सुनकर फिर मैं,
अपनी राह को अब बदल दिया।
उसकी मासूमियत को तब देख मैं
अपना इरादा भी बदल तब दिया।
दिल अब खुशी से झूम उठा,
मुझको भी राहत मिल गई।
जीवन अब देखो चहक उठा,
जैसे जन्नत ही अब मिल गई।