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Tripti Dhawan

Abstract

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Tripti Dhawan

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दिल का रिश्ता

दिल का रिश्ता

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दिल के अंदर एक और दिल होता है,

जो बच्चा नौ महीने एक ही जान से पला होता है


हाथ थाम जिसका वो बाद होता है,

वही जिगर का टुकड़ा होता है


जिंदगी जिसके नाम लिख देते हैं मां-बाप

वही बच्चा उनकी परछाई बन कर खड़ा होता है।


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