दीपावली
दीपावली
ईश्वर इस दिवाली तुम दिलों में
दीप एक दया का भी जला देना
निष्कपट हों दिल छल छद्म से
स्तम्भ विद्वेष का भी हिला देना
तेल सद्भावना का, तू डाल देना
हृदय में वतन परस्ती पाल देना
हो रोशन धरा का हर एक कोना
दुखियारा जगत में कोई रहे ना
दूर हमसे जो हुए अपने हमारे
बच्चे हैं उनके अब ,तेरे सहारे
एक दीप अपनी कृपा का उन
गमगीन दिलों में तू जला देना
मुरझाये हैं जो चेहरे भरी भूख से
हुए हैं व्यथित जो कड़ी धूप से
उनके दहकते हृदय पुष्प को तुम
खिला चमन को फिर चूम लेना
आज हर शाख पर, बैठे हैं उल्लू
उनसे हर मासूम को तुम बचाना
उजड़े गुलशन को फिर से सजाना
पाषाण बनते पथराये ये लोचन
अपनी कृपा दृष्टि से तुम गलाना
इस दिवाली अज्ञान का तम चीर
ज्ञान का एक दीप तुम भी जलाना।