धूप
धूप
सुना है, शहर में तुम्हारे
धूप निकला है
मेरे खुशियों के गाँव में तो
अभी भी धुंध बिखरा है
सुना है, पंछियों के शोर पर
जगने लगे हो तुम
यहां इस बेबसी में बर्फ से
जमने लगे हैं हम !
अपने वादीयों के जश्न में
शामिल मुझे कर लो
एक अंजुरी भर धूप के
काबिल मुझे कर दो !