STORYMIRROR

Akanksha Gupta (Vedantika)

Abstract Inspirational Others

4  

Akanksha Gupta (Vedantika)

Abstract Inspirational Others

धुंआ

धुंआ

1 min
22.9K

धुंए में उड़ता वक्त

खत्म होती जिंदगी

जलती हुई आग

ठंडी होती राख

छल्लों में उड़ती फिक्र

धुंध में घिरी मंजिल

पानी बनता धुंआ

धुंआ बना जिंदगी

कश में मिलता सुकूं

सुकूं हुआ बेमानी


धुंआ बना लत

लत बनी है जंजीर

नहीं है आसान इतना

इस धुंए से पीछा छुड़ाना


इस जिंदगी से अलग

कुछ आदतों को करना

होती हैं मुश्किल फिर

होता हैं मृत्यु का आभास


छूट जाती हैं सांसें

बन जाता है काल का ग्रास

निर्णय अब लेना होगा


मृत्यु और जीवन के मध्य

करना होगा त्याग इसी समय

इस व्यसन का पूर्ण त्याग


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract