धरती से तमस मिटा दो
धरती से तमस मिटा दो
अब इस धरती से तमस मिटा दे,
ऐसा दीप जलाना है।
छल-छद्मों को बीच से मिटाकर,
अब दीपावली मनाना है।
मिटती जो संस्कृति दिखे धरा पर,
उसे नहीं पनपने देना है।
कर्म फल पाने के संतापो को अब,
आगे नहीं बढ़ावा देना है।
रहे न कोई भेद-भाव धरती पर,
समानता हमको लाना है।
यह जो धरती है देवों की जननी,
दनुजन का नहीं ठिकाना है।