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Sudhir Srivastava

Inspirational

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Sudhir Srivastava

Inspirational

खुराफात

खुराफात

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क्या आपको अजीब नहीं लगता

कि मेरा दिमाग सिर्फ खुराफात ही

आखिर क्यों सोचता है?

लगता भी है तो मैं क्या कर सकता हूँ

जब मेरा दिमाग खुराफात पर ही जाकर ठहरता है।

अब इसमें मेरा क्या कसूर है

जो मेरे दिमाग में खुराफात ही चलता है

जीवित व्यक्ति का श्रद्धांजलि समारोह

आखिर क्यों नहीं होता है?

मरने के बाद इसका मतलब क्या है?

जब हम जान ही न पाये कि

मेरे श्रद्धांजलि समारोह में

आखिर कौन कौन आया,

जो आया तो क्यों आया

और जो नहीं आया 

वो भला क्यों नहीं आया?

गुस्सा आ रहा है तो थूक दीजिए

आपकी बात मैं नहीं करता

आप भी सिर्फ़ मेरी बात कीजिए,

अच्छा लगे तो अपने बारे में भी

तनिक ही सही मगर विचार कीजिए।

आइए!मैं आपको अपने जीते जी

अपनी श्रद्धांजलि का आमंत्रण देता हूँ।

कौन आया, कौन नहीं जानने के लिए

आपमें से ही किसी को

कापी पेन के साथ जिम्मेदारी सौंप देता हूँ,

या फिर फूल माला चढ़ी अपनी फोटो के पास

एक रजिस्टर पेन ही रखवा देता हूँ,

किसी कोने में दूर बैठ मैं खुद भी निगाह रखता हूँ।

क्या पता कल हमारे, आपके या देश के

हालत कैसे हों,

इसलिए मृत्यु पूर्व श्रद्धांजलि का आनंद

मैं खुद भी ले लेता हूँ।

आधुनिकता की ओर दुनिया बढ़ रही है

तो मैं भी बढ़ रहा हूँ,

कौन सा गुनाह कर रहा हूँ?

फिर भी आपको अच्छा नहीं लग रहा है

तो कोई बात नहीं यारों

मैं स्वयं ही स्वयं को श्रद्धांजलि अर्पित कर ले रहा हूँ।

आप सभी को बड़ी दुविधा से देख लो

मुक्त कर रहा हूँ,

मैं पहले भी खुश था, अब और खुश हूँ,

मृत्यु पूर्व श्रद्धांजलि का अनुभव कैसा होता है

इस पर नयी किताब लिख रहा हूँ,

बस! इसी लिए ये समारोह कर रहा हूँ।

थोड़ा मजाक कर रहा हूँ

यमराज को गुमराह कर रहा हूँ।

श्रद्धांजलि की चिंता किसे है यार

जो इतना परेशान हो रहे हैं

खुराफाती हूँ ये आप ही कहते हैं

तो मैं भी थोड़ा खुराफात कर रहा हूँ,

अब हँस भी दो यार

आपको हँसाने का ही काम कर रहा हूँ,

इसमें कौन सा गुनाह कर रहा हूँ।


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