"धरती करे पुकार"।
"धरती करे पुकार"।
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अपनी करुण गाथा कह, धरती करे पुकार।
यौवन मेरा छीनकर, खुशी नहीं संसार।
खुशी नहीं संसार , मौत का कारण बनता।
खूब दोहन करके, बाढ़ सूखा सब सहता।
कह 'जय'नदी पर्वत, वन जल कर रहा छलनी।
हे मूर्ख ! कर ख्याल, मान जान बचा अपनी।