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Nisha Nandini Bhartiya

Abstract

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Nisha Nandini Bhartiya

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धरती के सूरज

धरती के सूरज

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धरती के सूरज तुम जागो

अंधकार तुम्हें पुकार रहा 

दे कर दुहाई पौरुष की 

चीत्कार रहा हुंकार रहा। 


डाल-डाल पर चहके पक्षी 

पशुओं ने आनंद श्वास लिया 

कमलदल विकसे तड़ाग में 

समीर ने स्वागत गान किया। 


गौ मात खड़ी द्वार पर तेरे 

अमृत रसधार बहाने को 

हल फल लिए कृषक खड़ा 

मानव की क्षुधा मिटाने को।


शिवालय की क्षुद्र घंटिका 

प्रभु का नाम पुकार रही 

समस्त प्राणियों के हृदय में 

प्रेम की ज्योत जला रही।


स्वप्न निद्रा में अलसाया 

तू कर्मयोग को भूल रहा 

हृदय कपाट बंद करके 

तू मृत्यु शैया पर झूल रहा।


धरती के सूरज तुम जागो

अंधकार तुम्हें पुकार रहा 

दे कर दुहाई पौरुष की 

चीत्कार रहा हुंकार रहा। 



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