धर्म और लोग।
धर्म और लोग।
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो,
ज़रा गीता के दो श्लोका सुनाओ
या अज़ान की आवाज़ लगाओ।
गीता क़ुरान जो लड़े नहीं कभी
रह कर साथ में,
तुम दोगे उनका साथ जिनको
लिया ना तुमने कभी हाथ में।
अपनी ऊंचाई के लिए इंसानियत
को भी ले डूबते हो,
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
कह तो दिया तुमने हिन्दू
मुस्लिम सिख ईसाई,
आपस में सब भाई भाई।
पर एक बार ज़रा खुद से पूछो,
क्या तुम इस फैसले पर खरे
उतरते हो?
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
अच्छा सच बताओ तुम्हें ज़रा भी
दया नहीं आती,
अपने बेमूल्य हित के लिए किसी की
ज़िन्दगी उजाड़ते हुए।
जिस भारत माता के लिए लड़ते हो तुम,
उसी की मिट्टी में बेकसूरों का ख़ून
मिलते हो।
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
तुम्हारा धर्म तो तुम्हें प्यार बाँटना
सिखाता है ना,
फिर उसे अपने वालों पर ही क्यों
लुटाना।
यही प्यार सबके साथ दिखाओ ना,
जो ज़रुरत में है उसकी मदद करके
बताओ ना।
अपनी लोकप्रियता के लिए अपने ही
अच्छाई को मारते हो,
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
