धड़कन
धड़कन
धड़कनें दिल की भी सुना कीजिये
शौक को दिल में जगह दीजिये।
उम्र का क्या है, रेत का टीला हे
एक हवा का झोखा उड़ा कर ले जाना है
इमारत चाहे जितनी हों ऊँची
टिक न सकी कभी सैलाब के आगे
हर दफा अपने नफ़े की न सोचिये।
धड़कनें दिल की भी सुना कीजिये
शौक को दिल में जगह दीजिये।
समय का क्या है, मुसाफिर ही तो हे
कभी लौट भी आएगा
ऐसा इंतज़ार मत कीजिये
ऊँचाई के पीछे भागना ही हे
ताउम्र मंज़िल का पीछा न कीजिये।
धड़कनें दिल की भी सुना कीजिये
शौक को दिल में जगह दीजिये।
वक्त को भी कभी कभी जाया कीजिये
सुनाई न देगा कानों से कभी
उस वक्त के आने से पहले भी कभी
धड़कनें दिल की भी सुना कीजिये
शौक को दिल में ज़ग़ह दीजिये।