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Nalanda Satish

Abstract Inspirational

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Nalanda Satish

Abstract Inspirational

धारा

धारा

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विचारो की धारा लहु की धारा से कई गुना होती है प्रभावशाली

काटकर मस्तिष्क को जीवन की धारा को बदल दिया


ठूंस दिये जेलों में इतने बेगुनाह झूठी अफवाहों पर

करमजलों ने बोली लगाना माँ की शुरू कर दिया


उजाले का साथ छोड़कर अंधेरा दर दर भटक रहा

तेरी दिलकश अदाओं के जलवों ने कारोबार दिल का बढ़ा दिया


ज़ुबाँ की ख़ामोशी तार तार करती रही लफ्जों को अंदर ही अंदर

तेरी एक झलक ने रूह को मुस्कान से भर दिया


आयी पतझड़ तो वृक्ष सारे बेऔलाद हो गये

झूमती बसंत ने नव पल्लव का पालना कर दिया


रिश्तों की चाशनी 'नालन्दा' कड़क हो गयी इतनी

जिंदगी ने लम्हों को टुकड़े टुकड़े कर दिया



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